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झारखंड में ओबीसी आरक्षण पर सियासत, विधायक अंबा प्रसाद सदन में उठाएंगी मुद्दा

झारखंड में ओबीसी आरक्षण ( OBC reservation in Jharkhand) का कोटा बढ़ाने की मांग की सुगबुगाहट फिर सुनाई देने लगी है. इसकी मांग को लेकर तमाम संगठन लोगों को एकजुट कर रहे हैं. इस पर सियासत भी खूब हो रही है. विधायक अंबा प्रसाद भी मानसून सत्र में इसे उठाने की तैयारी कर रहीं हैं. वहीं झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भी ओबीसी आरक्षण कोटा बढ़वाने का वादा किया है, लेकिन इस पर अभी कोई कदम नहीं उठाया है.

Jharkhand state reservation percentage
झारखंड में ओबीसी आरक्षण पर सियासत
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Published : Aug 2, 2021, 12:43 PM IST

Updated : Aug 3, 2021, 12:35 PM IST

रांचीः संविधान ने देश के कमजोर समूहों को सशक्त करने के लिए आरक्षण का प्रावधान किया है. लेकिन जल्द ही यह सत्ता हासिल करने और राजनीतिक रोटी सेंकने का उपकरण बन गया. अब तो आरक्षण के लिए होड़ लगी है. इसी का नतीजा है कि संविधान में शुरुआत में विभिन्न वर्गों में शामिल जातियों की सूची अब काफी बदल गई है. भले ही इसके मायने बदलते जा रहे हैं. ट्राइबल राज्य झारखंड में अब ओबीसी में शामिल कुछ समूह खुद को मिले आरक्षण को बढ़ाने की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि झारखंड में ओबीसी की जनसंख्या 50 फीसदी से अधिक है, उसी अनुपात में आरक्षण मिलना चाहिए. भले ही 1931 के बाद से देश में जातिगत जनगणना नहीं हुई है.

ये भी पढ़ें-आरक्षण सामाजिक न्याय की व्यवस्था, भाजपा इसकी पक्षधर : विजय सोनकर शास्त्री

झारखंड में ओबीसी कोटा ( OBC quota in Jharkhand)बढ़ाए जाने का समर्थन करने वालों का कहना है कि राज्य में करीब 26 फीसदी एससी-एसटी, दस फीसदी सामान्य और 50 फीसदी से अधिक ओबीसी हैं. छात्र नेता मनोज यादव का कहना है कि यहां एससी-एसटी के लिए 36 फीसदी, ईडब्ल्यूएस के लिए 10 फीसदी और पिछड़ों के लिए 14 फीसदी आरक्षण दिया जा रहा है.

देखें स्पेशल खबर

समर्थकों का कहना है यह न्याय संगत नहीं, और पिछड़ों को आबादी के हिसाब से आरक्षण मिलना चाहिए. इसके लिए समय-समय पर आंदोलन किए जा रहे हैं. लेकिन सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के मुताबिक 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण नहीं हो सकता. ऐसे में किसी का आरक्षण बढ़ाने के लिए किसी समूह का कम करना होगा. इससे ओबीसी आरक्षण पर सियासत तेज है. तमाम राजनीतिक दल दावे कर रहे हैं पर कोई रास्ता निकाले जाने की कोशिश नहीं दिखती.

बढ़वाएंगे ओबीसी का कोटाः अंबा प्रसाद

झारखंड में ओबीसी आरक्षण के समर्थक कम आरक्षण के लिए अपने समूह के जनप्रतिनिधियों को जिम्मेदार ठहराते हैं. राष्ट्रीय ओबीसी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष राजेश गुप्ता का कहना है कि ये जन प्रतिनिधि अपना हित, समूह के हित के ऊपर रखते हैं. इसलिए एकजुट नहीं हैं. हालांकि विधायक अंबा प्रसाद विधानसभा में इसको उठाने की योजना बना रही हैं. कांग्रेस विधायक अंबा प्रसाद का कहना है कि उनकी जो सरकार है, इसी के कार्यकाल में ओबीसी के लिए आरक्षण बढ़वाने का काम कर लिया जाएगा.

विधायक अंबा प्रसाद मानसून सत्र में उठाएंगी मुद्दा

अंबा प्रसाद का कहना है कि उन्होंने अपने लेटर पैड पर दलगत भावनाओं से ऊपर उठकर पिछड़ी जाति से आने वाले सभी विधायकों के हस्ताक्षर कराए हैं ताकि मानसून सत्र के दौरान इस मुद्दे को एकजुट होकर सदन में उठाएं. वहीं विधायक ममता देवी भी इसका समर्थन करती नजर आती हैं. झामुमो ने भी अपने चुनावी घोषणा पत्र में इसके लिए वादा किया है. राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने भी साल 2014 में ओबीसी के लिए 27 फीसदी आरक्षण की अनुशंसा की है.

ये भी पढ़ें-झारखंड में आरक्षण की सीमा 50% से ज्यादा करना चाहती है हेमंत सरकार, सीएम बोले- बिजली बिल माफी पर फैसला जल्द

झारखंड में आरक्षण में ओबीसी कोटा बढ़ाने की मांग

झारखंड में तमाम संगठन और छात्र इन दिनों ओबीसी आरक्षण का कोटा बढ़ाने की मांग कर रहे हैं. इसको लेकर जब तब आंदोलन भी हो रहा है. छात्र नेताओं का कहना है कि दूसरे वर्गों को आबादी के अनुपात में आरक्षण मिल रहा है, यह सुविधा हमें भी मिलनी चाहिए.

अभी झारखंड में ये है आरक्षण का प्रावधान

एससी

एसटी

ओबीसी

ईडब्ल्यूएस एंड अदर्स

कुल

10 26 14 10 60

आंकड़ों के आईने में झारखंड

1. 1931 में आखिरी बार हुई थी जातिगत जनगणना

2. 36 फीसदी एससी-एसटी, 14 फीसदी ओबीसी और 10 फीसदी ईडब्ल्यूएस के लिए आरक्षण है झारखंड में

3. 50 फीसदी से अधिक आरक्षण की मांग कर रहे ओबीसी समूह के लोग

4. 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण की अनुसंशा की है पिछड़ा वर्ग आयोग ने

रांचीः संविधान ने देश के कमजोर समूहों को सशक्त करने के लिए आरक्षण का प्रावधान किया है. लेकिन जल्द ही यह सत्ता हासिल करने और राजनीतिक रोटी सेंकने का उपकरण बन गया. अब तो आरक्षण के लिए होड़ लगी है. इसी का नतीजा है कि संविधान में शुरुआत में विभिन्न वर्गों में शामिल जातियों की सूची अब काफी बदल गई है. भले ही इसके मायने बदलते जा रहे हैं. ट्राइबल राज्य झारखंड में अब ओबीसी में शामिल कुछ समूह खुद को मिले आरक्षण को बढ़ाने की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि झारखंड में ओबीसी की जनसंख्या 50 फीसदी से अधिक है, उसी अनुपात में आरक्षण मिलना चाहिए. भले ही 1931 के बाद से देश में जातिगत जनगणना नहीं हुई है.

ये भी पढ़ें-आरक्षण सामाजिक न्याय की व्यवस्था, भाजपा इसकी पक्षधर : विजय सोनकर शास्त्री

झारखंड में ओबीसी कोटा ( OBC quota in Jharkhand)बढ़ाए जाने का समर्थन करने वालों का कहना है कि राज्य में करीब 26 फीसदी एससी-एसटी, दस फीसदी सामान्य और 50 फीसदी से अधिक ओबीसी हैं. छात्र नेता मनोज यादव का कहना है कि यहां एससी-एसटी के लिए 36 फीसदी, ईडब्ल्यूएस के लिए 10 फीसदी और पिछड़ों के लिए 14 फीसदी आरक्षण दिया जा रहा है.

देखें स्पेशल खबर

समर्थकों का कहना है यह न्याय संगत नहीं, और पिछड़ों को आबादी के हिसाब से आरक्षण मिलना चाहिए. इसके लिए समय-समय पर आंदोलन किए जा रहे हैं. लेकिन सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के मुताबिक 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण नहीं हो सकता. ऐसे में किसी का आरक्षण बढ़ाने के लिए किसी समूह का कम करना होगा. इससे ओबीसी आरक्षण पर सियासत तेज है. तमाम राजनीतिक दल दावे कर रहे हैं पर कोई रास्ता निकाले जाने की कोशिश नहीं दिखती.

बढ़वाएंगे ओबीसी का कोटाः अंबा प्रसाद

झारखंड में ओबीसी आरक्षण के समर्थक कम आरक्षण के लिए अपने समूह के जनप्रतिनिधियों को जिम्मेदार ठहराते हैं. राष्ट्रीय ओबीसी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष राजेश गुप्ता का कहना है कि ये जन प्रतिनिधि अपना हित, समूह के हित के ऊपर रखते हैं. इसलिए एकजुट नहीं हैं. हालांकि विधायक अंबा प्रसाद विधानसभा में इसको उठाने की योजना बना रही हैं. कांग्रेस विधायक अंबा प्रसाद का कहना है कि उनकी जो सरकार है, इसी के कार्यकाल में ओबीसी के लिए आरक्षण बढ़वाने का काम कर लिया जाएगा.

विधायक अंबा प्रसाद मानसून सत्र में उठाएंगी मुद्दा

अंबा प्रसाद का कहना है कि उन्होंने अपने लेटर पैड पर दलगत भावनाओं से ऊपर उठकर पिछड़ी जाति से आने वाले सभी विधायकों के हस्ताक्षर कराए हैं ताकि मानसून सत्र के दौरान इस मुद्दे को एकजुट होकर सदन में उठाएं. वहीं विधायक ममता देवी भी इसका समर्थन करती नजर आती हैं. झामुमो ने भी अपने चुनावी घोषणा पत्र में इसके लिए वादा किया है. राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने भी साल 2014 में ओबीसी के लिए 27 फीसदी आरक्षण की अनुशंसा की है.

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झारखंड में आरक्षण में ओबीसी कोटा बढ़ाने की मांग

झारखंड में तमाम संगठन और छात्र इन दिनों ओबीसी आरक्षण का कोटा बढ़ाने की मांग कर रहे हैं. इसको लेकर जब तब आंदोलन भी हो रहा है. छात्र नेताओं का कहना है कि दूसरे वर्गों को आबादी के अनुपात में आरक्षण मिल रहा है, यह सुविधा हमें भी मिलनी चाहिए.

अभी झारखंड में ये है आरक्षण का प्रावधान

एससी

एसटी

ओबीसी

ईडब्ल्यूएस एंड अदर्स

कुल

10 26 14 10 60

आंकड़ों के आईने में झारखंड

1. 1931 में आखिरी बार हुई थी जातिगत जनगणना

2. 36 फीसदी एससी-एसटी, 14 फीसदी ओबीसी और 10 फीसदी ईडब्ल्यूएस के लिए आरक्षण है झारखंड में

3. 50 फीसदी से अधिक आरक्षण की मांग कर रहे ओबीसी समूह के लोग

4. 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण की अनुसंशा की है पिछड़ा वर्ग आयोग ने

Last Updated : Aug 3, 2021, 12:35 PM IST
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